कौशांबी में मकर संक्रांति आस्था और सांस्कृतिक वैभव का उत्सव, लाखो ने किया यमुना में स्नान, पभोसा मेले में उमड़ा जन सैलाब

👉 कौशांबी में मकर संक्रांति का उत्साह ,पभोषा: आस्था और सांस्कृतिक धरोहर का केंद्रप्र ,भाष गिरी पर्वत: कौशांबी का सिरमौर
👉 यमुना नदी में स्नान: पुण्य और परंपरा का संगम ,गंगा-जमुना के द्वाबा क्षेत्र की धार्मिक महत्ता ,प्रभाष गिरी का ऐतिहासिक और धार्मिक महत्व
👉 भव्य मेले में कौशांबी की सांस्कृतिक झलकश्र ,द्धालुओं की आस्था और जिला प्रशासन की तैयारी
👉 कौशांबी: सांस्कृतिक और धार्मिक केंद्र का गौरव ,मकर संक्रांति पर कौशांबी का आध्यात्मिक संदेश ।
कौशांबी । जिले में मकर संक्रांति का पर्व बड़े उत्साह और धार्मिक आस्था के साथ मनाया जा रहा है। पभोषा क्षेत्र, जो अपनी प्राचीन सांस्कृतिक और धार्मिक विरासत के लिए प्रसिद्ध है, इस अवसर पर लाखों श्रद्धालुओं को अपनी ओर आकर्षित करता है।प्रभाष गिरी पर्वत, जो मंझनपुर तहसील के थाना पश्चिम सरीरा क्षेत्र में स्थित है, कौशांबी का सिरमौर है। यह ऐतिहासिक पर्वत यमुना नदी के किनारे खड़ा है, और इसके उस पार चित्रकूट जनपद का मऊ क्षेत्र स्थित है। गंगा और यमुना के बीच बसे इस द्वाबा क्षेत्र ने सदियों से कौशांबी को एक सांस्कृतिक और धार्मिक केंद्र के रूप में प्रतिष्ठित किया है।
यमुना नदी में स्नान के लिए दूर-दूर से आए श्रद्धालु अपनी आस्था प्रकट करते हैं। वहीं, प्रभाष गिरी पर आयोजित भव्य मेला न केवल धार्मिक बल्कि सांस्कृतिक दृष्टि से भी अत्यंत महत्वपूर्ण है।
प्रभाष गिरी का ऐतिहासिक महत्व भी अद्वितीय है। यह स्थान बौद्ध और जैन धर्म के प्रवर्तकों का प्रमुख केंद्र रहा है, जहां उन्होंने ज्ञान का प्रचार-प्रसार किया।
जिले के लोग इस दिन यमुना नदी में स्नान कर अपने पापों का क्षालन करने और पुण्य अर्जित करने की मान्यता रखते हैं। कौशांबी की सांस्कृतिक और धार्मिक धरोहर को जीवंत बनाए रखने का यह उत्सव एक अनूठा उदाहरण प्रस्तुत करता है।
इस आयोजन को सफलतापूर्वक संपन्न कराने हेतु जिला प्रशासन पूरी तरह सक्रिय रहता है। प्रशासन ने घाटों पर साफ-सफाई, सुरक्षा, प्राथमिक चिकित्सा और यातायात प्रबंधन की उचित व्यवस्था की है, ताकि श्रद्धालु बिना किसी बाधा के इस पवित्र अवसर का आनंद ले सकें।
– अमरनाथ झा, पत्रकार