आईटीआई कटरा-नैनी में लापरवाही और भ्रष्टाचार पर सरकार की चुप्पी, सवालों के घेरे में कटरा और नैनी आईटीआईं , भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप, प्रयागराज आईटीआई में जांच की मांग तेज
👉 प्रयागराज के आईटीआई में भ्रष्टाचार: 18 साल बाद भी नहीं हुई कार्रवाई , कई बार हो चुकी है शासन में शिकायत
👉 कटरा आईटीआई में अनियमित नियुक्तियां, नैनी में आवास घोटाले का खुलासा, नियमों की अनदेखी और करोड़ों के घोटाले की आंशका, जांच के आदेश जारी
👉 18 साल से लंबित भ्रष्टाचार मामला: जीरो टॉलरेंस नीति का खुला उल्लंघनआ , आईटीआई नैनी में आवास घोटाला, त्रि-स्तरीय जांच से मचा हड़कंप ।
रिपोर्ट- अमरनाथ झा: मो0 – 9415254415 , 8318977396
प्रयागराज । जिले के आईटीआई कटरा और नैनी में बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार और अनियमितताओं का मामला सामने आया है। इन संस्थानों में नियमों की खुली अनदेखी करते हुए नियुक्तियों और भवनों के दुरुपयोग से संबंधित गंभीर आरोप लगे हैं। आईटीआई कटरा में 18 साल पहले एक पद का विज्ञापन जारी कर तीन पदों पर नियुक्ति की गई। इसमें अनिल कुमार, जो आयु सीमा से अधिक थे, को नियमों के विपरीत नियुक्त कर दिया गया। वहीं, अजय कुमार सिंह की भर्ती बिना किसी प्रक्रिया का पालन किए की गई।
इस मामले में अपर निदेशक राहुल देव ने जांच रिपोर्ट तैयार की थी, जिसमें इन अनियमितताओं की पुष्टि की गई। रिपोर्ट में स्पष्ट किया गया कि एक पद का विज्ञापन जारी कर तीन लोगों की भर्ती की गई। बावजूद इसके, 18 वर्षों से इस मामले में कोई कार्रवाई नहीं की गई है। लगातार शिकायतों के बावजूद प्रशासन की निष्क्रियता सरकार की “जीरो टॉलरेंस” नीति पर सवाल खड़े कर रही है। आईटीआई नैनी में भी अनियमितताओं का मामला सामने आया है। वर्ष 2020 में बने संस्थान के आवास को तत्कालीन प्रधानाचार्य सुजीत कुमार श्रीवास्तव ने जर्जर घोषित कर दिया और इसे विकलांग कर्मचारी और अपने चहेतों को तीन साल तक मोटी रकम लेकर किराए पर दे दिया। इस पर जिलाधिकारी प्रयागराज को शिकायत मिलने के बाद एसडीएम करछना ने त्रि-स्तरीय जांच कमेटी गठित की है।
संस्थान में वित्तीय और प्रशासनिक स्तर पर भी बड़े पैमाने पर गड़बड़ी की आशंका जताई जा रही है। सूत्रों के अनुसार, यदि इन मामलों की गहन जांच की गई, तो करोड़ों रुपये के घोटाले का खुलासा हो सकता है। वर्तमान प्रधानाचार्य अरुण यादव का कहना है कि वे इन मामलों से अनभिज्ञ हैं। इन आरोपों के मद्देनजर प्रमुख सचिव व्यावसायिक शिक्षा एवं कौशल विकास डॉ. हरिओम ने मामले की जांच कराने और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई का आश्वासन दिया है। शिकायतकर्ताओं ने मांग की है कि दोषी अधिकारियों और कर्मचारियों के खिलाफ तत्काल कार्रवाई की जाए। अनियमित नियुक्तियों को रद्द कर पारदर्शी प्रक्रिया के तहत नई भर्ती की जाए। साथ ही संस्थान के वित्तीय और प्रशासनिक मामलों की निष्पक्ष जांच हो।
प्रयागराज के इन संस्थानों में वर्षों से चल रहे भ्रष्टाचार और लापरवाही के बावजूद कार्रवाई न होना शासन और प्रशासन की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े करता है। अब यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि इन मामलों में न्याय होगा या यह भी अन्य मामलों की तरह समय की धूल में दब जाएगा। यह एक बड़ा सवाल है।