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ग्रामीणों के विरोध के बाद लकड़ी माफिया मौके से फरार, प्रशासन और वन विभाग के रेंजर पर उठे सवाल, रेंजर ने कटवा दिए मोटी रकम लेकर कई दर्जन हरे पेड़

👉 मंझनपुर रेंजर राज कैथवाल के भ्रष्टाचार चरम पर , विभागीय अधिकारी बने तमाशबीन, करता है गुंडई से हरियाली चट 
👉 मंझनपुर के बरौला गांव में सरकारी जमीन में लगवाया 7 बीघा धान कटवा कर किया गोलमाल, जांच का विषय , कुछ दिन पहले भी रक्तगहा के भट्ठा के पास कट गया है हरा पेड़ 
कौशांबी। मंझनपुर रेंजर राज कैथवाल का नहीं रुक रहा है भ्रष्टाचार और विभागीय अधिकारी आंख मूंदकर बैठे हैं। करारी थाना क्षेत्र के अहडारा गांव स्थित इंतजार की बगिया में लकड़ी माफिया ने शीशम के हरे-भरे पेड़ काट डाले। घटना तब प्रकाश में आई जब कुछ ग्रामीणों ने पेड़ों की कटाई का विरोध करते हुए शोर मचाया। ग्रामीणों के हल्ले के बाद लकड़ी माफिया अधकटी लकड़ियों को छोड़कर मौके से फरार हो गए। इसकी सूचना ग्रामीणों ने करारी थाने में दी।
महमदपुर रक्सवारा में सरकारी शीशम के पेड़ कटने का मामला चर्चा में है। महमदपुर रक्सवारा गांव में भी पांच सरकारी शीशम के पेड़ों की अवैध कटाई का मामला सामने आया है। ग्रामीणों का आरोप है कि इस घटना में स्थानीय रेंजर राज कैथवाल, एसडीओ, और हल्का पुलिस की सीधी मिलीभगत है। इनकी अनुमति और मिलीभगत से सरकारी जमीन पर लगे पेड़ों को कटवा दिया गया।
जिले में तेजी से घट रहे हरे पेड लेकिन विभाग चुप्पी साधे हुए है। ग्रामीणों ने बताया कि जिले में प्रतिदिन फलदार और हरे पेड़ों की कटाई हो रही है। वन विभाग और स्थानीय पुलिस की निष्क्रियता और भ्रष्टाचार के चलते पर्यावरण को भारी नुकसान हो रहा है। डीएम के सख्त आदेशों के बावजूद ऐसी घटनाएं रुकने का नाम नहीं ले रही हैं। इसके पहले भी कई दर्जन पेड़ रेंजर कटवा चुका है ,उरई पहाड़िया सहित दर्जनों गांव में पद काटने की खबर चलने के बाद भी रेंजर पर कोई कार्रवाई नहीं हुई है।
ग्रामीणों की मांग है कि लकड़ी माफिया और इसमें शामिल अधिकारियों के खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई की जाए। हरे पेड़ों की कटाई रोकने के लिए वन विभाग और पुलिस की जिम्मेदारी तय की जाए। जिले में पर्यावरण संरक्षण के लिए ठोस योजना बनाई जाए। प्रशासन की निष्क्रियता पर सवाल उठ रहे हैं फिर भी अहडारा और महमदपुर रक्सवारा की घटनाएं प्रशासन की कार्यशैली पर सवाल खड़े करती हैं। डीएम और संबंधित अधिकारियों को इस मुद्दे पर तुरंत कार्रवाई करनी चाहिए ताकि प्राकृतिक संसाधनों और पर्यावरण की रक्षा हो सके।
बता दें कि बरौला में लगना था लगभग 40 हजार पेड़ , मात्र मौके पर लगाया था हजार पेड़ ,जिले में लगभग 14 लाख वृक्ष रोपण करना था और प्रदेश में 35 करोड़ के लक्ष्य में बरौला और उनो गांव का 50 हजार पौधों का रोपड़ किया जाना प्रस्तावित था। लेकिन वर्तमान में दोनों स्थानों पर लगभग 2500 दोनो जगह पौधे लगाए गए बाकी जगह में धान लगवाकर बेंच लिया गया है । मजेदार बात यह है कि फर्जी लोगों के नाम पर निकाल लिया गया पैसा पौधा रोपड़ का , जिन लोगों के नाम पैसा निकला है उन्हें पता ही नहीं हांकी कहा पौधा रोपड़ किया गया है। इसकी पुष्टि की गई तो जिले का बड़ा घोटाला निकलेगा। चायल नेवादा का संदीप ठेकेदार नंबर दो को नंबर एक बनाने का k करता है और रेंजर का कारखास है 50 प्रतिशत रेंजर को बचत देता है यदि इसकी जांच हुई तो करोड़ों का घोटाला उजागर होना तय है। बृक्षा रोपड़ के नाम पर पच्चीसों लाख का गमन और बंदरबांट रेंजर राज कैथवाल द्वारा किया गया जो चर्चा सरेआम है।  अपने आप को जिले का टाप मोस्ट भ्रष्टाचारी रेंजर बनता है तानाशाह कहता हैं मुझसे बड़ा कौन अधिकारी है जो मेरा टेढ़ा कर लेगा,अब देखना है कि वास्तव में इसके भ्रष्ट कारनामों की जांच होती है या नहीं यह एक बड़ा सवाल है।
अमरनाथ झा पत्रकार – 9415254415

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