कौशाम्बी जिले में रजिस्ट्री में स्टांप शुल्क की अनियमितता पर गहराता सवाल, आरटीआई से 5 साल के रिकॉर्ड से कई मामलों का हुआ था खुलासा
कौशाम्बी । जिले में रजिस्ट्री कार्यालयों में स्टांप शुल्क की चोरी और अनियमितता की समस्या लगातार गंभीर होती जा रही है। यह न केवल राजस्व हानि का प्रमुख कारण बन रही है, बल्कि प्रशासनिक प्रणाली की कार्यप्रणाली पर भी सवाल खड़े करती है।
मुख्य बिंदु:
1. स्टांप शुल्क की कमी की बात करें तो अधिकतर मामलों में जांच नहीं होती है। इसी तरह 2010 से 2015 के बीच हुई 62,000 रजिस्ट्रियों में 7,779 मामलों में स्टांप शुल्क की कमी दर्ज की गई। यह सरकार के राजस्व संग्रह में बड़ी बाधा बन रहा है। इसी तरह जांच में लापरवाही होने से राजस्व का नुक्सान होता है। इन मामलों की जांच केवल औपचारिकता बनकर रह जाती है। ठोस कार्रवाई का अभाव अनियमितता को बढ़ावा देता है।
इसी तरह एक मामला मंझनपुर ब्लाक के भैला मकदुमपुर गांव में आराजी नंबर 418 और 419 पर राम सुरेश पुत्र बच्चा ने गलत चौहद्दी दिखाकर 2023 में रजिस्ट्री कराई। रोड और आबादी की जमीन को 100 मीटर दूर दिखाकर स्टांप शुल्क की चोरी की गई। शिकायतकर्ता रवी सोनी ने इसकी शिकायत आईजी स्टांप तक की, लेकिन कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई। राजस्व हानि की बात करें तो स्टांप शुल्क में कमी और अनियमितता प्रशासन के राजस्व में भारी नुकसान पहुंचा रही है।
समाधान और सुझाव:
1. सख्त जांच और कार्रवाई
रजिस्ट्री के दौरान स्टांप शुल्क की सख्त जांच होनी चाहिए। कमी पाए जाने पर जिम्मेदार लोगों पर तत्काल कार्रवाई सुनिश्चित की जाए।
2. डिजिटलीकरण और पारदर्शिता
रजिस्ट्री प्रक्रिया को डिजिटल बनाकर पारदर्शिता सुनिश्चित की जाए। डिजिटल रिकॉर्ड से फर्जीवाड़ा और अनियमितता को रोका जा सकता है।
3. जवाबदेही तय करना
जांच अधिकारियों की जिम्मेदारी तय होनी चाहिए। जांच में लापरवाही या अनदेखी करने वालों पर दंडात्मक कार्रवाई हो।
4. सार्वजनिक जागरूकता अभियान
जमीन रजिस्ट्री कराने वालों को स्टांप शुल्क और अन्य कानूनी प्रक्रियाओं के प्रति जागरूक करना जरूरी है।
5. विशेष अभियान चलाना
जिला प्रशासन को पुराने लंबित मामलों की वसूली और अनियमितताओं की जांच के लिए विशेष अभियान चलाना चाहिए।
इस तरह से स्टांप शुल्क की चोरी और अनियमितताओं को रोकने के लिए प्रशासन को सख्त कदम उठाने होंगे। जवाबदेही, पारदर्शिता और सटीक जांच से न केवल राजस्व हानि को रोका जा सकता है, बल्कि भविष्य में ऐसी समस्याओं पर प्रभावी नियंत्रण पाया जा सकता है।
अमरनाथ झा पत्रकार