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अतीक के सूटर साबिर को क्या संरक्षण दे रही थी पुरामुफ्ती पुलिस,चर्चा में है थानाध्यक्ष और चौकी इंचार्ज बम्हरौली का कारनामा, जॉच का है विषय

कमिश्नर साहब  देखे एक नजर इधर भी,पश्चिमी शहर के पूरामुफ्ती थाना की ओर , सुर्खियो मे थाना प्रभारी का कारनामा।

प्रयागराज । जिले में अपराधियों को पनाह देने के मामले में पुलिस पर हमेशा मामला सुर्खियो में रहा है लेकिन विभाग के उच्च अधिकारी कभी ध्यान नहीं देते है । सूत्रों की मानें तो ऐसा ही मामला सिपाही से दरोगा बना अपने आपको सबसे बडा तानाशाह समझने वाला चर्चित रहा है । करोड़ों रुपए लूट कर मुंह मे कालिक लगा कर थाने से रातों रात भगाया गया पूरामुफ्ती थाने का पूर्व थानाध्यक्ष अजीत सिंह हमेशा चर्चा में रहे हैं । नाम न छापने के शर्त पर एक दरोगा ने बताया कि बम्हरौली चौकी क्षेत्र के मरीयाडीह का पांच लाख का इनामियां मोहम्मद साबिर बम्हरौली चौकी इंचार्ज व पूर्व थानाध्यक्ष अजीत सिंह के गोद में खेलता  रहा है । छ: माह बम्हरौली चौकी इंचार्ज अमित कुमार सिंह ने एक अवैध आरा मशीन पर साबिर का ठिकाना बनवा रखा था ।  दरोगा ने बताया कि अपराधी बिरादरियों का बोस है, एक सिपाही जिसे भली भांति क्षेत्र कि जनता अपराधी बिरादरी के बॉस के नाम से जानती है। मौजूदा समय लगभग 4 वर्षों से सल्लाहपुर चौकी में अंगद की तरह पैर जमा कर रखा है जिसका नाम अतुल राय है। यह अपराधियों से अवैध वसूली का सरगना माना जाता है। सुबह से शाम तक कई अपराधियों के फोर व्हीलर से घूमते नजर आता है। बात यही नहीं खत्म होती, दरोगा जी ने बताया कि छुट्टी लेकर घर जाता है तो भी अपराधी व हिस्ट्रीशीटरों की फोर व्हीलर लेकर घर जाता है और अपने आप को बिरादरियों में अच्छी पकड़ बताता है।

पूर्व पूरामुफ्ती थानाध्यक्ष अजीत सिंह व बम्हरौली चौकी इंचार्ज उच्च अधिकारियों को गुमराह करते रहे और साबिर उनकी गोद में खेलता रहा है । भारी भरकम फोर्स लेकर के गांव व कछार पुलिस खाक छानती रही लेकिन साबिर का कोई आता पता नहीं चला क्योंकि थानाध्यक्ष व चौकी इंचार्ज उसका ठिकाना इस तरह से बना रखा था कि अवैध आरा मशीन की तरफ किसी का दिमाग ही ना जाए  और इसी कारण वह बचता रहा है । इसी तरह इसकी लोकेशन उच्च अधिकरियों को हुई तो पुलिस ने भारी भरकम फोर्स लेकर घेराबंदी किया जरूर लेकिन वह पुलिस को चकमा देकर फरार हो गया। सूत्र यह बात बताते हैं कि बम्हरौली चौकी इंचार्ज व थानाध्यक्ष हमेशा उसे लेते थे मोटी रकम, वह भागा नहीं इन लोगों ने उसे भगा दिया और ना ही उमेश पाल हत्याकांड में इस्तेमाल की हुई । राइफल की बबात भालि भांति जानते थे लेकिन फिर भी बरामद नहीं किया है। थानाध्यक्ष से पूछने पर राइफल के बारे में थानाध्यक्ष ने पत्रकारों को जवाब दिया कि उमेश पाल हत्याकांड में राइफल का इस्तेमाल नहीं हुआ जबकि खुलेआम राइफल से ताबड़ तोड़ साबिर ने गोली चलाई थी । उस राइफल के बाबत थानाध्यक्ष पूरामुफ्ती अजीत सिंह हमेशा पत्रकारों को गुमराह करते थे और सही जानकारी नहीं देते थे हमेशा गोल मोल बाते करते थे । सबसे खास बात यह है कि न बम्हरौली चौकी और ना ही पूरामुफ्ती थाने के रजिस्टर्ड में राइफल के बारे में नहीं है कोई एंट्री, नाम न छापने के शर्त पर दरोगा ने यह भी बताया कि राइफल किसकी थी और कहां है इसके बारे में बम्हरौली चौकी इंचार्ज अमित कुमार सिंह व पूर्व पूरामुफ्ती थानाध्यक्ष अजीत सिंह भलि भांति जानते हैं। अगर इन लोगों की जांच कराई जाए तो। राइफल का पता चल सकता है। मामला यहीं नहीं खत्म हो रहा है इस खेल में थाने के ड्राइवर से लेकर हमराहियों तक की भूमिका संदिग्ध है । क्या नवागंतुक प्रयागराज कमिश्नर इसकी जांच कराएंगे और इन दोषियों के खिलाफ कार्रवाई करेंगे यह एक बड़ा सवाल है ।

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