रेलवे एनसीआर के डीआरएम आफिस में फैला भ्रष्टाचार, डीआरएम आफिस प्रयागराज बना उगाही का अड्डा,बिना रिश्वत के नही होता है कोई काम, सरकार के नियम कनून धड़ाम
👉 फोरमोल्टी के मात्र लगाए गए हैं सीसीटीवी कैमरे एवम डिजिटल सिग्नेचर स्कैनर। कुर्सी से गायब रहते है लाखो के सेलरी वाले बाबू ।
👉 डी कैटराइज और फर्जी तरीके से बनाए गए है ओएस और सीओएस,लंबी रिश्वत लेकर बनाए गए है हित निरीक्षक ,जिनको नही आता है नियम और कानून की जानकारी ,केवल करते हैं उगाही
👉 अपनी कमियों को छुपाने के लिए खोला गया था निराकरण सेल,केवल दिनभर मांगी जाती है पोजीसन।
👉 एक ही जगह पर वर्षों से जमे है लोग, इसी लिए व्याप्त है भ्रष्टाचार, स्वास्थ्य विभाग का भी है बुरा हाल,15-20 वर्षों से जमे हैं लोग ।
प्रयागराज। एनसीआर के इलाहाबाद मंडल रेल प्रबंधक कार्यालय में कितने डीआरएम और अधिकारी आए और अपना समय व्यतीत कर चले गए। किसी अधिकारी ने भी यहां की समस्याओ एवम भ्रष्टाचार को समाप्त करने हेतु कोई सुरुवात नही किया जिससे कर्मचारियों के हित का कोई समाधान हुआ हो । बता दें कि यहां रिटायरमेंट कर्मचारियो की समस्याओं का कोई सुध लेने वाले नहीं है । लाखो रूपये सेलरी लेने वाले डी-कैटराइज बाबू व हित निरीक्षक कर्मचारियो के पदोन्नति, नियुक्ति, स्थानांतरण से लेकर सेवा निवृत कर्मचारियो की समस्याओं का निराकरण करने के लिए लगाया गया है लेकिन बिना किसी रिश्वत, परसेंटेज के मुताबिक लिए बिना कोई सुनाई नही होती है। शिकायत करने पर भी ऐसे बाबुओं एवम हित निरीक्षको को एपीओ से लेकर सीनियर डीपीओ तक सरंक्षण प्राप्त है ।
ये उन्ही लोगों की बोलिया बोलते हैं, जिससे यह साबित होता है कि यह रिश्वत का पैसा इन तक भी पहुंचता है। उदाहरण के तौर पर इंजीनियरिंग विभाग में बैठा हुआ एक विकलांग बाबू सर्मा और चिकित्सा विभाग में बैठा हुआ अनिल राय नामक बाबू तथा कमर्शियल विभाग में बैठा हुआ महान बाबू जो टीटीओ की शताब्दी एवम प्रीमियम ट्रेनों की ड्यूटी और उनकी सिनियारटी और ट्रान्सफर पॉल्सी में जो वर्तमान में उलट फेर किया है । उसमे लाखो का लेन देन किया गया है और अपने चहेतों को जो बीसो साल से जमे हैं उनको हटाया नहीं गया है। इस प्रकार के गोरखधंधे सभी ब्रांचों मे चल रहें हैं और सैकड़ों आरटीआई डालने के बाद भी कोई सन्तोष जनक जवाब नहीं दिया गया है। रेल्वे के कई डिपार्टमेंट में चल रहे भ्रष्टाचार को छुपाने एवम पर्दा डालने के लिए भ्रामक व उल्टी सीधी धाराओं का उल्लेख करते हुए सूचना को निष्क्रिय बनाने का कार्य किया गया है। एक जन सूचना का जवाब चार माध्यमों से दिया जाता है और उच्च स्तर पर बैठे हुए अधिकारी मूल प्रतिलिपि का अवलोकन नही करते हैं और तोते की तरह एक ही बोली बोलते हैं। यदि ऐसे ही हाल रहा तो सारी जन सूचनाओ को एकत्रित करके केन्द्रीय सूचना आयोग व न्यायालय के समक्ष रखने की आवश्कता महसूस की जा रही है।
इसी प्रकार एनसीआर जोन में टेंडर और कोटेसन में उनकी कीमत 100% से ऊपर तक बढ़ा कर कराई जा रही है और उसकी अनुमानित लागत भी विस्तार कराई जा रही है जो नियम विरुद्ध है और ऐसे में विजिलेंस विभाग लम्बे लाव लश्कर को लेकर मुख्यालय में बैठा हुआ है जो आपने दायित्व को निभाने में सफल नहीं हो रहा है । यह भी केवल बदले की भावना या फिर वसूली मात्र तक ही सीमित रहा है और अपने 5 साल के कार्यकाल में करोड़ों रुपए का खेल करके चलते बनता है, क्योंकि इसमें भी चयन प्रक्रिया में ईमानदार लोगों को न लेकर अधिकतर भ्रस्टाचारियो को ही लिया जा रहा है तो भ्रष्टाचार कैसे समाप्त होगा यह एक जॉच का विषय है। यदि वर्तमान के ईमानदार डीआरएम और एनसीआर के तेज तर्रार जीएम ने इन मामलों का संज्ञान लिया तो बहुत से खुलासे होना तय है।