कब लगेगी बेलगाम नौकरशाह पर लगाम, एसडीम सदर आकाश सिंह की मनमानी से जनता परेशान , अधिवक्ताओं और फरियादियों से एसडीएम की नही रुक रही अभद्रता
👉 हर गली और हर फाइल में ढूंढ रहा है पैसा, बेलगाम एसडीएम के हाथ में सदर तहसील की है कमान।
👉 लेखपालों के ट्रांसफर में मोटी रकम लेकर इधर उधर करने की है सरेआम चर्चा । वसूली भरे कार्यों से जनता परेशान ।
👉 नही रुक रहा है लूट का सिलसिला , तहसील कर्मियों और अधिवक्ताओं मे भी है भारी आक्रोश ,एसडीएम द्वारा की जाती है फरियादियो से अभद्रता. .
👉 तहसील के सैकड़ो तालाबी और सरकारी जमीनों पर है अतिक्रमण, नही कराया जा रहा है खाली ,जनता को परेशान करने और लूटने वाले लेखपालों से है एसडीएम की करीबी …
संविधान के दायरे में ही काम करें अधिकारी , अपने आप को तानाशाह ना समझे अधिकारी,भ्रष्टाचार में लिफ्ट अंधाधुंध रुपया कमाने वाले अधिकारी ही हुए बेलगाम …
कौशाम्बी। जिले के मंझनपुर तहसील एसडीएम आकाश सिंह के कारनामा इस तरह से है की लोग परेशान हो गए हैं । नव नियुक्त एसडीएम ने दर्जनों प्राईवेट लोगों को रखकर उनसे वसूली कराई जा रही है । जिस तरह से तमाम लोगों को रख कर लूट मचाई जा रही है वह चर्चा का विषय बना हुआ है । लेखपालों के ट्रांसफर मे भी 50 – 50 हजार रुपए लेकर तैनाती करने की खुलेआम चर्चा हो रही है । बताया जाता है कि पैसा लेकर किसी को करीब तो किसी को दूर- मनमानी तरीके से गांवो मे तैनाती दिया गया है । खुले आम ट्रासफर के नाम पर सौदेबाजी हो रही है। यहा तक की महिलाओ को मनमानी तरह से किया दूर पोस्टिंग गया है करीब के गांव को अपने चहेती को देकर महिला लेखपाल को दूर पोस्टिंग किया गया है । इस तरह से एसडीएम के कारनामों से तंग कर्मचारियो में आक्रोश पनप रहा है । अब तो हर गली गली और हर फाइल में पैसा ढूंढा जा रहा है । सीनियर एसडीएम की जगह नव नियुक्त एसडीएम का कारनामा चर्चा में है ।
इसी तरह यदि सूत्रों की मानें तो 5 लाख रिश्वत लेकर तहसील रोड पर भू माफियाओ से मिलकर वसूली की खुलेआम चर्चा है। मामला बढ़ता देख लेखपाल सत्रुहन का ट्रांसफर कर दिया गया है । पहले एसडीएम सदर आकाश सिंह ने भूमाफिया को दिखाया था चमकी धमकी, फिर रिश्वत लेकर माफियाओं से गढ़जोड़ बनाने की चर्चा खुलेआम है । जबकि सुरु मे अवैध अतिक्रमण हटवाने का भी एसडीएम ने दिया था आदेश लेकिन जब चांदी का जूता पड़ गया तो सब मामला टाय टाय फिस हो गया है । सीएम के सख्ती के बाद जिले में जो भू माफिया अंडरग्राउंड हो गए थे, वह फिर से एसडीएम की मिलीभगत से सक्रिय हो गए है । वैसे एसडीएम की तेजी दिखाने के चक्कर में लूट लगातार जारी है । वैसे तो गोंडा जिला के मकनपुर तहसील में भी तैनाती के दौरान इनके तामाम उल्टे सीध कारनामे चर्चा में रहे है ।
इसी तरह सुर्खियों में है दीवरकोतारी कारनामा,मोटी रकम लेकर भूमिधरी जमीन में चकरोड निकालने का मामला है चर्चित । भैला मकदूमपुर में विधवा की पुस्तैनी जमीन पर लाखों रुपए लेकर एसडीएम द्वारा खुद जाकर कब्जा करवाने का है आरोप और पीड़ित के लड़के को थाने बुलाकर भेजा है एसडीएम ने 151 में जेल । राम सुरेश की इनवैलिड रजिस्ट्री में करवाया एसडीएम ने कब्जा , जबकी मामला कई न्यायालयो में है विचाराधीन । ऐसा ही तमाम कारनामा बना है चर्चा का विषय। पीड़ित विधवा ने सीएम को पत्र भेजकर एसडीएम के कारनामे की जांच कराने की किया है मांग।
बता दें कि इन दिनों बेलगाम नौकरशाही समाज में अपने स्वार्थ के लिए उल्टे सीधे काम करवा कर समाज और जनता के बीच विवाद पैदा कर रहे हैं । यहां तक की अपने स्वार्थ और जेब की पूर्ति के लिए लेखपालों से दबाव बनाकर भी गलत कार्य करवा रहे हैं जिससे समाज में आए दिन विवाद झगड़ा फैल रहा है । खासकर मंझनपुर सदर एसडीएम आकाश सिंह के कारनामे चर्चा में है , लोगों को न्याय नहीं मिल रहा है और एसडीएम की तानाशाही और फरियादियों से अभद्रता रुकने का नाम नहीं ले रही है । अपने आपको सीएम के गृह जनपद गोरखपुर का होने का डंका पीट कर मनमानी कार्य करने पर उतारू है ,शायद यह नौकरशाही यह भूल गई है कि इनको राजशाही करने के लिए तैनाती नहीं मिली है, बल्कि जनता की सेवा करने के लिए ही तैनात किया गया है । जनता के साथ न्याय हो लेकिन यह नौकरशाह अपने आप को किसी राजा से कम नहीं समझते हैं और जनता को नौकर समझते हैं और उनके साथ गलत कार्य करके समाज में और जनता में बैमनस्ता फैलाने का काम कर रहे हैं । ऐसे कई मामला एसडीएम के चर्चाओं में है लेकिन इन बिगड़ैल अधिकारियों पर कौन लगाम लगए यह सबसे बड़ा सवाल है । समाज में हो रही बड़ी-बड़ी जमीन से संबंधित झगड़ों और विवादों का कारण एसडीएम के कारनामे है । यदि ऐसा ही होता रहा तो वह दिन दूर नहीं जब इनके स्वार्थ भरे कार्य और फैसले से जमीन के चक्कर में बड़ी-बड़ी घटनाएं घटेंगे । खासकर ऐसे अधिकारियों की आय से अधिक और बेनामी संपत्ति करोड़ों में है जो अवैध काली कमाई करके अकूत धन संपदा कमाने में जुटे हुए हैं । ऐसे अधिकारियों के कारनामों की जांच करा कर कार्रवाई होनी चाहिए ताकि जनता में फैल रहे विश्वास और अन्याय पर रोक लगाई जा सके ।
भारतीय संविधान किसी भी ऐसे अधिकारियों को मनमाना करने की छूट नहीं देता है । संविधान और कानून के दायरे में काम करे अधिकारी तभी लोगो को न्याय मिलेगा । शरीफ नागरिकों कों यह लोग डरवाते है, धमकाते है और उनकी जमीन छीनते है। ऐसे भ्रष्ट अधिकारी भी उनके सहयोगी है जो अपराधिक कृत में सम्मिलित है ,उनके ऊपर भी कार्यवाही होनी चाहिए । इसीलिए भ्रष्ट अधिकारी आतंकवादी न बने, वे अधिकारी भी आरोपी हैं जो संविधान का उलंघन करते है। इनपर भी कंटेंप्ट नही बल्कि 120 – बी के अपराधी है जो अपराध को बढ़ावा देने मे सामिल है । भ्रष्ट अधिकारी किसी की रक्षा और न्याय नहीं कर सकते, इनके कार्यों की जांच हो । लेकिन जो पुलिस या अधिकारी ईमानदार हैं वह सबकी रक्षा कर सकता है उनका कार्य सराहनीय है । लेकिन इन भ्रष्ट अधिकारी के संरक्षण में अपराध बढ़ता है । जैसे भ्रष्ट पुलिस अधिकारी सिर्फ वर्दी पहन लेने से ईमानदार नहीं बन जाता , भारतीय संविधान के मुताबिक काम करने से ही पुलिस वाला बनता है। यदि वो भी कानून तोड़ा और संविधान को ना माने तो अपराधी बनता है , ऐसे मानसिकता वाले अधिकारियो की भी पहचान होनी चाहिए और इनपर भी कानूनी कार्रवाई होनी चाहिए और ऐसे लोगो को जेल होनी चाहिए वह चाहे पुलीस अधिकारी हो या प्रसासनिक अधिकारी ही क्यों न हों । जिले के आम गरीब लोग ईमानदार मीडिया पर विश्वास करते हैं, इसलिए मीडिया को तो आगे आना ही होगा, क्योंकि सच्चाई को पैसे से हराया नही जा सकता है। यदि पुलिस और प्रशासनिक अधिकारी अपना कर्तव्य करे तो इस तरह के बढ़ रहे अपराधो पर काबू पाया जा सकता है। आज सोसल मीडिया पर भी जो चीजे है ,उसे माननीय सुप्रीम कोर्ट भी देख रहा है। जिले मे जो लोग संप्रादाइक सौहार्द खराब कर रहे है,उसे खराब करने से रोकना जरूरी है। भैला मकदूमपुर में किया गया कृत्य एसडीएम की तानाशाही है लेकिन यह याद रहे की कानून के फंदे में जब कोई भी व्यक्ति या अधिकारी फंस जाता है तो फिर निकलना मुश्किल है.. यह याद रहना चाहिए ।
अमरनाथ झा पत्रकार