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रेलवे एनसीआर में आरटीआई पोर्टल बना मजाक ,जो विभाग है जितना बड़ा भ्रष्टाचारी वही नहीं देता है आरटीआई का जवाब, एनसीआर में सैकड़ो लगी है कमर्शियल वाहन की जगह प्राइवेट वाहन

👉 आरटीआई की धारा 2 और 8 का हवाला देकर आरटीआई का जवाब देने से बचते हैं भ्रष्ट अधिकारी एवम कर्मचारी । बाबू करते हैं आधिकारी को गुमराह ।

👉 इन धाराओं में केवल राष्ट्र की सुरक्षा और गोपनीयता की सूचना देना है प्रतिबंधित लेकिन भ्रष्ट अधिकारी इसकी आड़ में अपने आप को कर रहें बचाव ।

👉 हाल ही में एनसीआर जोन में प्राइवेट वाहनों के लगाए जाने संबंधित डाली गई थी आरटीआई, नहीं दिया अधिकारियों ने सही जवाब ।

 एनसीआर जोन में वाहन ठेकेदारों द्वारा लिया गया है रेलवे से कमर्शियल वाहनों को लगाने का टेंडर लेकिन लगी है प्राइवेट गाड़ियां क्यों – जांच का विषय ।

प्रयागराज । रेलवे एनसीआर प्रयागराज एवं मंडलीय कार्यालयो में लगी प्राइवेट गाड़ियों का भ्रष्टाचार थमने का नाम नहीं ले रहा है । यहां पर अधिकारियों द्वारा खुद अपनी गाड़ियों को खरीद कर रेलवे में लगाया गया है और कमर्शियल की जगह प्राइवेट गाड़ियां लगी हुई है । जिस पर रेलवे के डीआरएम ऑफिस और एनसीआर में उच्च अधिकारी बैठकर सफर कर रहे हैं और यह गाड़ियां उन अधिकारियों के गांव तक भेजी जा रही हैं ,जिसकी जांच होना आवश्यक है ।

बता दें कि इन गाड़ियों की जांच के लिए टोल प्लाजा से गाड़ियों की फुटेज एवम लिस्ट निकलवा कर भी की जाच कराई जा सकती है । फिलहाल डीआरएम ऑफिस प्रयागराज और एनसीआर इलाहाबाद में सैकड़ों गाड़ियां प्राइवेट वाहन अधिकारियों एवं कर्मचारियों की लगी हुई है, जो कमर्शियल नहीं है । इस मामले में कुछ सप्ताह पहले अमरनाथ झा द्वारा एक आरटीआई डाली गई है जिसमें कई जगह से अलग अलग मनमानी तरीके से और भ्रामक जवाब भेजा गया है ।

बता दें इन भ्रष्ट अधिकारियों को यह डर है कि आरटीआई से खुलासा होने के बाद अपने भ्रष्टाचार को छुपाने में नाकाम हो जाएंगे । यही वजह है कि आरटीआई की धारा 2 और 8 का उपयोग कर आरटीआई का जवाब देने से बच रहे हैं । इन सैकड़ों प्राइवेट वाहनों को लगाकर अधिकारी एवं कर्मचारी अपनी जेब भर रहे हैं ,वहीं दूसरी तरफ आरटीओ से कमर्शियल गाड़ी ना लगा कर के स्वयं की गाड़ियों को लगा करके परिवहन विभाग का भी लाखों का राजस्व का चूना लगाया जा रहा है । इन गाड़ियों में भारत सरकार का बोर्ड लगा करके एवम वीआईपी लिखकर धड़ल्ले से अवैध कार्य किया जा रहा है । इन गाड़ियों के जो ठेकेदार हैं धड़ल्ले से अधिकारियों से सेटिंग करके कमर्शियल वाहन न लगाकर प्राइवेट वाहन लगाए हुए हैं । रेलवे के अकाउंट्स विभाग में सेटिंग करके धड़ल्ले से पैसा वसूल रहे हैं और इन वाहन पर चलने वाले अधिकारी भी आंख मूंद कर बैठते हैं ,वह कभी भी इन गाड़ियों की जांच नहीं करते हैं ।


बता बता दे कि अमरनाथ झा द्वारा 2020- 21 में भी लगातार लगभग 80 आईटीआई मांगी गई थी जिसमें लगभग 20 आरटीआई का जवाब 2 साल बीत जाने के बाद आज भी लंबित है । रेलवे एनसीआर में जो भी आरटीआई के नोडल अधिकारी है वह आज तक इस मामले को गंभीरता से नहीं लिया गया है । आखिर इन आरटीआई के झूठी जवाब देने वाले अधिकारियों और कर्मचारियों पर क्या कार्यवाही होगी यह एक बड़ा सवाल है ।

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