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आखिर कब सुधरेगी जिले में गौशालाओं की व्यवस्था, आए दिन गौशालाओ मे पशुओं की हो रही है मौत, बरियावाँ गांव 8 गोवंशों की हुई मौत, झूठ बोलकर कर्मचारिओ के कारनामों पर पर्दा डाल रहे सीडीओ

👉 नही थम रहा है जिले के गौशालाओं मे पशुओ के मरने का सिलसिला । विभागीय लापरवाही से भूख प्यास से तड़प कर मर रहे हैं पशु ।

👉 गौशालाओं में है तमाम अव्यवस्थाएं ,झूठी संख्या दिखाकर सरकारी रकम हजम कर रहे हैं जिम्मेदार । मृत पशुओं का पोस्टमार्टम भी नहीं करते पशु डॉक्टर प्रभात गौतम ।

गौशालाओं में मृत पशुओं को नोच नोच कर खाते रहे कुत्ते, केयरटेकर रहे लापता , विभागीय सीबओ की चल रही मनमानी ,इलाज के अभाव मे हुई पशुओं की मौत, पशु डा0 है लापता 

कौशांबी जनपद में मुख्यमंत्री की महत्वकांक्षी योजना गौशाला में सुधार होता नहीं हो रहा है । जिले में गौशालाओं में व्यवस्थाएं उचित ना होने से यहां आए दिन कहीं ना कहीं पशुओं को मरने का सिलसिला बंद नहीं हो रहा है । चायल तहसील नेवादा ब्लाक के बरियावां गांव में शुक्रवार को 8 गोवंश मर गए जिसकी खबर मीडिया में आने के बाद हड़कंप मच गया । इस घटना की सूचना पर सीडीओ, डीपीआरओ सहित ब्लॉक के अधिकारी मौके पर पहुंचे और मातहतों को दिशा निर्देश देकर चले गए ।

बता दें कि इस बरियावां के गौशाला में पशुओं की 320 का आंकड़ा प्रधान ने बताया है ,जबकि इससे भी संख्या काफी कम है । यहां पर चारा पानी की उचित व्यवस्था ना होने की वजह से तथा साफ सफाई की हालत गंभीर है और उचित देखरेख के अभाव में गोवंश मरते रहते हैं । देखा जाए तो 1 सप्ताह से दर्जन 1 दर्जनों से ज्यादा गोवंश इस गौशाला में मर चुके हैं लेकिन यहां पर तैनात पशुपालन विभाग के डॉ0 प्रभात गौतम कभी भी मृत पशुओं का पोस्टमार्टम नहीं करते हैं और इस मामले में जब उनसे बात की गई तो गोलमोल जवाब देते हुए बात को टाल गए । उन्होने कहा कि इस मामले में सीवीओ रचना दीक्षित से बात करे वही जनकारी दे पाएंगी।

बता दें कि यहां पर मरने वाले गोवंश को प्रधान एक पिकअप में लदवा कर भेजवा देता है । ए पिकप वाले मृतक पशुओं को पिपरी थाना इलाके के कदिलापुर के पास फेकवा देते है जहां पर चमड़े और हड्डी को बेंच दिया जाता है । यह सिलसिला काफी दिन से चल रहा है लेकिन जिम्मेदार अधिकारी आंख, कान मूंद कर बैठे हैं । जिले के यह कर्मचारी दोषी कर्मचारियों के खिलाफ कार्रवाई करने के बजाए उनके कारनामों पर झूठ बोलकर पर्दा डालने तथा उनको बचाने का काम करते हैं । इसी मामले में बरियावां गौशाला के मामले में जब मीडिया ने सीडीओ से सवाल किया तो उन्होंने झूठ बोलते हुए 8 गोवंशो की मौत की जगह सिर्फ 2 गोवंश मरने की बात कही है और यह भी कहा कि बाकी गोवंश बाहर से लाए गए थे, । यदि बाहर से लाए गए थे तो अब सवाल यह उठता है कि आखिर बाहर से जो लाए गए थे गोवंश, वह किस गौशाला के थे और कहां से उस गाड़ी पर आए थे, जबकि पिकप गाड़ी खाली आई थी ।

सूत्रों की माने तो गौशालाओं मे मरने वाले पशुओं को पिकअप पर लादकर कदिलापुर के पास फेंका जाता है और उनके चमडा और हड्डी बेचने के बाद उनके कान में लगे ईयर टैग को ला करके फिर से पशु डॉक्टर और प्रधान के हवाले कर दिया जाता है । यह प्रधान और पशु डॉक्टर नए पशुओं को लाकर के गौशाला में फिर उन नए लाए गए पशुओं के कान में टैग को पहना देते है। यह सिलसिला कई माह से जारी है लेकिन इस पर ध्यान देने वाले कोई अधिकारी नहीं है ।

बता दें कि यदि बरियावां गांव मे गौशाला मे 320 गोवंशो की संख्या है ,यदि मान लिया जाए तो बरियावां गौशाला में लगभग साडे ₹450000 लाख रूपया हर महीना सरकारी रकम जा रही है । इस रकम का उचित प्रयोग हो रहा या नहीं इसकी जांच करने वाले जिम्मेदार अधिकारी खामोश है । ऐसा लगता है कि इस सरकारी रकम के लूट के बंदरबांट मे नीचे से लेकर ऊपर तक अधिकारी सामिल है । यदि ऐसा है तो इस जिले में सबसे बड़ा पशुपालन घोटाला साबित होगा, इस मामले में सरकार को उच्च एजेंसी के माध्यम से जांच कराकर जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई करनी चाहिए । इसी तरह जनवरी में नई महिला सीवीओ बनी डॉ0 सीमा ने इस विभाग में भ्रष्टाचार के खिलाफ कार्यवही की और आवाज उठाई तो उससे 4 माह बाद चार्ज छीनकर उनके जूनियर को चार्ज सौप दिया गया और उनके खिलाफ झुठी रिपोर्ट शासन को भेजकर उन्हे बांदा ट्रांसफर करा दिया गया है ।

ड0 सीमा ने कहा था की कई वर्षों से पूर्व सीवीओ डाp पाठक शासन को सुपुर्दगी की झूठे संख्या भेज रहे थे और भी तमाम खामियां थी जिसको उन्होंने उजागर किया तो बवाल मच गया । फिलहाल देखा जाए तो जिले के अन्य गौशालाओं की हालत भी दयनीय है ,जहां साफ-सफाई उचित खानपान की व्यवस्था नहीं दिख रही है और पशुओं की संख्या भी सही नही बताया जा रहा है ।

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