रेलवे के डीआरएम ऑफिस में भ्रष्टाचार जड़े हैं गहरी, सीनियर डीपीओ राजेश शर्मा ने दिया भ्रष्टाचार को बढ़ावा, इनके संरक्षण मे चल रहा है पूरा रैकेट, मोतीलाल मिश्रा पर जांच के बाद भी नही की कर्यवाही आखिर क्यों
👉 कर्मचारियों के गलत कार्यों को सीनियर डीपीओ ने दे रखा संरक्षण,नहीं होती है जांच होने के बाद भी कोई कार्रवाई ।
👉 एनसीआर के मंडलीय कार्यालय इलाहाबाद मे सबसे ज्यादा व्याप्त है करेप्शन ।
प्रयागराज । एनसीआर के डीआरएम ऑफिस इलाहाबाद में सीनियर डीपीओ राजेश कुमार शर्मा के नेतृत्व में भ्रष्टाचार का आलम इस तरह से सिर चढ़कर बोल रहा है कि इसे रोकना अधिकारियों के लिए मुश्किल लग रहा है । यह अधिकारी जब से इलाहाबाद के डीआरएम ऑफिस में आया है तभी से भ्रष्टाचार फैलाने का कार्य शुरू कर दिया है । अपने आप को बहुत साफ सुथरा की डींग हांकने वाला यह अधिकारी कई भ्रष्टाचार में लिप्त हैं । यहां तक की इस पर यौन शोषण का भी आरोप लगा है लेकिन अपनी ऊंची पहुंच और अधिकारियों की सेटिंग की वजह से अपने आप को बचाने में कामयाब रहा हैं । दूसरे कर्मचारियों को फंसा कर बलि का बकरा बना कर अपने आपको बचाने में कामयाब रहा है जिसके बारे में पूरे डिवीजन मे लोगों की जुबान पर चर्चा का विषय बना हुआ है ।
बता दें कि इनके ही संरक्षण में मोती लाल मिश्रा ओएस के काले कारनामों का कई बार मीडिया मे मामला तूल पकड़ा है एवं शिकायतों के माध्यम से कुछ अधिकारियों तक संज्ञान होने के बावजूद भी कोई कार्यवाही नहीं हुई है । मोतीलाल मिश्रा लगभग 15- 20 साल से एक ही जगह एक ही मलाईदार सीट पर काबिज रहे हैं और जितने भी सीनियर डीपीओ आए हैं उनका संरक्षण इस बाबू पर सदैव रहा है । मोतीलाल मिश्रा पर इनकी पहली पत्नी के द्वारा भी कई बार मामला सुर्खियों में आया और शिकायत भी रेलवे के उच्च अधिकारियों से की गई है जिस पर रेलवे के अधिकारियों द्वारा जांच भी कराई गई है । इसमें मामला सही पाया गया लेकिन फिर भी उस पर कार्रवाई सीनियर डीपीओ राजेश कुमार शर्मा ने नहीं किया और इनके जांच को दबाकर रखा गया है । इसके बदले में मोतीलाल मिश्रा से तमाम प्रकार के गलत कार्य भी कराया जा रहा है जिसका लाभ सीनियर डीपीओ सहित कई लोग मिलकर बंदरबांट कर रहे हैं । यह मामला डीआरएम एवं जीएम के संज्ञान में होते हुए भी आज तक ज्यों का त्यों पड़ा हुआ है ।
सवाल यह उठता है कि रेलवे की गाइड लाइन का पालन आखिर क्यों नहीं किया जा रहा है । इन अधिकारियों के खिलाफ कोई कार्रवाई क्यों नहीं की जा रही है ,यह एक बड़ा सवाल है ।
सूत्रों की माने तो सीनियर डीपीओ राजेश कुमार शर्मा की भ्रष्टाचार की लिस्ट बहुत लंबी है । यदि इनके भ्रष्टाचार के कारनामों को खोला जाए तो दर्जनों ऐसे मामले मिलेंगे जिन पर यदि उच्च अधिकारियों ने जांच कराई तो सीनियर डीपीओ पर गाज गिरना तय है । अपने काले कारनामों को छुपाने के लिए सीनियर डीपीओ ने मोती लाल मिश्रा को एक बार ट्रांसफर करने के बाद मे फिर से उसी सीट पर दोबारा बैठा दिया है और उससे डिपार्टमेंट में अवैध वसूली एवं गलत कार्य करने की खुली छूट दे रखी है । जिससे करोड़ों रुपए की अवैध वसूली करके यह सब लोग मालामाल हुए हैं । यह सारा कार्य सीनियर डीपीओ के संरक्षण में डीआरएम ऑफिस में फल फूल रहा है । लगभग एक दर्जन लोगों का सीनियर डीपीओ और मोती लाल मिश्रा के द्वारा लोगों का एक ऐसा रैकेट तैयार हैं जिनका काम है अवैध वसूली करना और रेलवे के नियमों को ताक पर रखकर मनमानी तरीके से गलत कार्य करना और निर्दोष लोगों पर कार्रवाई करना इन लोगों के लिए आम बात है ।
बता दें कि राजेश कुमार शर्मा सीनियर डीपीओ प्रयागराज के अधीन तैनात अधिकारी के0एल0 जैसवाल डीपीओ ने दिनांक 16 फरवरी 2021 को आपने पत्र में स्वीकार कर चुके हैं की मोती लाल मिश्रा दो पत्नी रखा है । इस गंभीर आरोप मे सीनियर डीपीओ राजेश कुमार शर्मा ने अभी तक मोतीलाल मिश्रा ( मुख्य कार्यालय अधीक्षक) को नौकरी से बर्खास्त नहीं किया है । मोती लाल मिश्रा को नौकरी से बर्खास्त करने का संपूर्ण अधिकार राजेश कुमार शर्मा को अधिकार प्राप्त है । शर्मा मोती लाल मिश्रा को नौकरी से बर्खास्त करने के बजाय उसको एक राजा कि तरह मंडल रेल प्रबंधक कार्यालय में पावर देकर बैठा दिया है और लगभग बीस वर्ष से मलाईदार एक ही सीट पर काम कर रहा है । कागजों में रेल अधिकारी उसका स्थानांतरण तो कर देते है, पर काम मोतीलाल मिश्रा ही उस सीट पर काम करता है । सीनियर डीपीओ राजेश कुमार शर्मा ने आदेश संख्या 752 इ/इ05/os/parsnal 23/10/2020 (2020/26A ) के मध्य संख्या 2 एवं मध्य संख्या तीन अनिल तिवारी का ट्रांसफर निरस्त करके मोतीलाल को पुनः बरकरार रखा गया जो जांच का विषय है ।
सूत्रों कि माने तो मोतीलाल मिश्रा पर अप्राकृतिक दुष्कर्म का आरोपी भी लगा है । उसके सहयोगी एस0ए खान सेवा निवृत्त सहायक कार्मिक अधिकारी भी सम्मिलित है । डीआरएम आफिस में जब सीबीआई आई थी तो प्रफुल पांडे और मोतीलाल मिश्रा का नाम भी जांच में आया था लेकिन अधिकारियों ने इन्हें बचाने में कामयाबी हासिल की है । मोतीलाल मिश्रा की पत्नी ने रेलवे के उच्च अधिकारियों एवं राष्ट्रपति को भी शिकायत कर कार्यवाही करने की बात की गुहार लगाई है लेकिन सभी जाचों को दबाते हुए सीनियर डीपीओ ने मोतीलाल को मलाईदार सीट पर बरकरार क्योंं रखा है, इसके पीछे सीनियर डीपीओ की क्या मंशा है और मोती लाल मिश्रा पर जांच होने के बावजूद कार्रवाई क्यों नहीं की गई है । इस मामले को संज्ञान लेते हुए सीनियर डीपीओ के कारनामों की जांच कराना अति आवश्यक है तथा विजिलेंस विभाग को भी इस मामले की जांच करना चाहिए ताकि मामले ने सच्चाई उजागर हो सके । फिलहाल यह देखना है कि कौशांबी वॉइस खबर का संज्ञान लेकर उच्च अधिकारी सीनियर डीपीओ के डीआरएम ऑफिस में फैले भ्रष्टाचार एवं मोतीलाल मिश्रा को एक ही सीट पर बैठा रखने के पीछे सीनियर डीपीओ का क्या स्वार्थ है यह जांच का विषय है ।
अमरनाथ झा – पत्रकार , मो0- 8318977396