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टीटीई की विभागीय परीक्षा में हित निरीक्षकों को दिया गया है अवैध वसूली का टारगेट , सुर्खियों में है पर्सनल डिपार्टमेंट का कारनामा, रेवड़ी की तरह बांटे गए प्रमोशन, नक्कारों को बनाया गया ओएस,डी-कैटराइज्ड ड्राइवरों की है फौज

👉 अब देखना यह है कि टीटीई का चयन उनकी योग्यता के आधार पर होगा या फिर पैसे के बलबूते पर होगा चयन

👉 कार्मिक विभाग में विभागीय पदोन्नति में रेवड़ी की तरह बांटा जा रहा है पदोन्नति ,नक्कारों को किया गया पदोन्नति और बना दिया गया ओएस ।

👉 अन्य विभागों में 10-10 वर्षों से एक ही पद पर पड़े हुए हैं मिनिस्ट्रियल स्टाफ, अन्य विभागों में डी-कैटराइट ड्राइवरों से बने बाबुओं की कर दी गई है पोस्टिंग ।

👉 सभी लोग 30 परसेंट अतिरिक्त वेतन लेकर बन गए हैं ओएस और सीओएस, नहीं आता है उनको कुछ भी काम-धाम ।

👉 ऐसे बने हुए ओएस अपनी आईडी पर करवाते हैं रिटायरमेंट एवं दूसरों लोगों से कार्य , क्योंकि उनको नहीं आता जाता है कोई काम और ताकते रहते हैं एक दूसरे का मुंह ।

👉 वास्तविक कैडर के मिनिस्ट्रियल स्टाफ पदोन्नति से हो गए हैं वंचित ,उनकी वरीयता के साथ हो रहा है खुलेआम खिलवाड़ ।

👉 साइकिल स्टैंड के चोर दरवाजे से डीआरएम ऑफिस में घुसते हैं रिटायरमेंट कर्मचारी, पीएफ एवं अकाउंट सेक्शन में करते हैं घुसपैठ, सीनियर के नाते लोग कुछ भी ना बोल पाने को हैं मजबूर अधिकतर ।

👉 अधिकतर डिपार्टमेंट में रिटायर कर्मचारी करते हैं काम और विभाग में करते हैं अवैध वसूली व दलाली ।

प्रयागराज डीआरएम ऑफिस अंतर्गत कराई गई टीटीई की विभागीय परीक्षा में वेलफेयर इंस्पेक्टरों को अवैध वसूली कर लंबी धन उगाही करने का टारगेट दिया गया है जो चर्चा का विषय बना हुआ है । अब देखना यह है इस परीक्षा में योग्य कर्मचारियों का चयन होगा या फिर रिश्वतखोर अधिकारियों की वजह से पैसे वालों कैंडिडेटों का बोलबाला होगा, यह जांच का विषय है ।

बता दें कि इसके पूर्व में जो भी विभागीय परीक्षा हुई है वह कर्मचारी एक प्रार्थना पत्र लिखने लायक नहीं है । जिसको विभाग आज भुगत रहा है और प्रशासन मजबूर होकर उसको झेलता रहता है ।

कार्मिक विभाग में कम समय पर इनकी सेवा को देखते हुए नियमों को ताक पर रखकर अधिकारियों द्वारा की गई मेहरबानी का परिणाम यह हुआ है कि बहुत ही कम समय में ऐसे निकम्मे और नक्कारों को ओएस बना दिया गया है । जिनको एक पैसा का भी काम धाम आता जाता नहीं है और वह इधर-उधर एक दूसरे के बगले झांकते हैं या फिर ऐसे लोग सेवानिवृत्त लोगों से फोन करके मदद मांगते हैं ,या फिर चोर दरवाजे से उनको बुला कर अपना काम करवाते हैं । यह सिलसिला डीआरएम ऑफिस में वर्षों से चल रहा है ।

बता दें कि खासकर इंजीनियरिंग डिपार्टमेंट और पीएफ सेक्शन तथा अकाउंट विभाग में इस तरह के मामले जोर शोर से चल रहा है जो खुलेआम देखा जा रहा है ।ऐसे लोग कार्यालय में आकर रिकार्डों को लिखते ,पढ़ते और उलटते पलटते देखते हैं जिससे महत्वपूर्ण रिकॉर्ड एवं गोपनीयता का भंग होना लाजमी है । यदि ऐसे लोगों द्वारा अति महत्वपूर्ण फाइलों या कागजातों को गायब कर दिया जाता है तो यह जिम्मेदारी किसकी तय होगी, यह भी जांच का विषय है । क्योंकि वर्तमान समय पर जो लोग कार्यरत हैं ,सेवानिवृत्त लोगों को सम्मान के अंतर्गत लोग कुछ न कहने पर मजबूर हैं और वह लोग खुले तौर पर कर्मचारियों एवं ठेकेदारों से वसूली करके ऐसी तमाम केसों का निपटान करते हैं । यह एक अनैतिक कार्य है , जिस पर रोक लगाया जाना अति आवश्यक है ।

बता दें कि मंडल रेल प्रबंधक कार्यालय में जिस प्रकार से मिनिस्ट्रियल स्टाफ के बाबू को अनदेखा करके डी-कैटराइट हुए बाबू की पदोन्नति की गई है और उनको ओएस बनाकर 30 परसेंट अधिक वेतन जोड़कर  दिया गया है । यह कहीं ना कहीं मिनिस्ट्रियल स्टाफ के कर्मचारियों के साथ अन्याय है, क्योंकि अन्य विभागों में दस-दस वर्षों से एक ही पद पर बाबू पड़े हुए हैं और पदोन्नति से वंचित है । उनकी वरीयता के साथ भी खिलवाड़ किया गया है क्योंकि उनके भर्ती होने की तिथि और पदोन्नति की तिथि को देखा जाए तो जो नए भर्ती हुए कर्मचारी हैं उनको पदोन्नति वरदान के रूप में  दी गई है । यही कारण है कि आज विभाग और प्रशासन इन निकम्मों की फौज को लेकर असहाय बना हुआ है और रेलवे प्रशासन को चलाना मुश्किल हो रहा है ।  आज वर्तमान में जो भ्रष्टाचार करके चला जाता है उसे भुगतना पड़ता है ।

बहुत से ऐसे चपरासी बनाए गए हैं जिनको आई-पास आईडी दी गई है और अपनी आईडी से दूसरे लोगों से काम कराते हैं । ऐसे में यदि कोई वित्तीय घपला होता है तो उसका जवाबदेह कौन होगा, यह मामला भी जांच का विषय है । वर्तमान में इसका उदाहरण है कि आज तक एचआरएमएस पर कर्मचारियों की छुट्टी दर्शाई नहीं गई है और कर्मचारियों को ई-पास नहीं मिल रहा है । लोग दर-दर की ठोकरें खा रहे हैं और अपना पैसा लगाकर अपने गांव घर जा रहे हैं ।

कौशांबी वॉइस के सुझाव के तहत यदि रेल प्रशासन एक ऐसा फॉर्मेट तैयार करे जिसमें कर्मचारी के भर्ती होने की तिथि, पदोन्नति होने की तिथि, रिक्त पदों की तिथि, तथा परीक्षा कराए गए पदों की तिथि की अलग से व्यवस्था होनी चाहिए । ऐसी व्यवस्था हो जिससे यह पारदर्शिता समान रूप से आ सके कि किस कर्मचारी के साथ अन्याय हुआ है और कहां पर भ्रष्टाचार का खेल हुआ है, तभी इन सब मामलों में पारदर्शिता आएगी ।

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